बेजान सी हो रही हूं में
जान कहा से लाऊं में
रुक सी गई है ज़िंदगी
फिर कैसे आगे बढू में
टूट सी रही है उम्मीद
वापस से हिम्मत कैसे जुटाऊ में
खुद से ही नाराज़ बैठी हूं
खुद को कैसे मनाऊं में
खुद की परछाई से दूर भाग रही हूं
आखिर कब तक भागती रहू में
गायब हो चुकी इस चेहरे की चमक
इस चेहरे पर रौनक कैसे लाऊ में ।।
– Jyoti Gupta..